हमारी उंघती न्यायपालिका

हमारी न्यायपालिका अपने लेट-लतीफी के लिए मशहूर है यह तो जग जाहिर है |उदहारण के लिए गोधरा कांड,भागलपुर दंगा,अयोध्या मामला,और अब मुंबई आतंकवादी हमला |
                        गोधरा कांड का फैसला कोर्ट ने अभी तक नहीं दिया है |अभी तो  आरोपियो से पूछताछ ही चल रही है जबकि इस कांड को कई वर्ष बीत चुके है और अभी फैसले आने में कई साल लग जायेंगे |इस मामले में सी. बी.आई. की भूमिका भी कम खराब नहीं है| सी. बी. आई. ने अभी तक जांच पूरी नहीं की है| सी. बी. आई. जो की निष्पक्ष रूप से काम करने के लिए जानी जाती है लेकिन अब नहीं क्योकि अब सत्तासीन सरकार उसे अपने लिए उपयोग करती है|
                                          भागलपुर दंगे के फैसले आने में कई साल लग गए | सभी आरोपी जवानी से बुढ़ापे में प्रवेश कर गए और तब उन्हें जाकर सजा हुई|
अयोध्या मामले ने तो इसमे हद ही कर दी है जो मामला आजादी से पहले का है वह अभी तक नहीं सुलझा है कभी कोर्ट के जज बदल जाते है तो तारीख का बढ़ना तो आम बात है|
                                        मुंबई आतंकवादी हमले को तीन साल होने को चले है लकिन फैसला नहीं आया है |नीचली अदालत फैसला दी तो अपील गईं उपरी अदालत में शायद वहां भी चार पांच साल लगे और जब फैसला आये तो उसे भी सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी ही जायगी यह भी तय है अर्थात फैसले आने में अभी अभी हमें लगभग २० बर्ष का लंबा इंतजार करना पड़ेगा | इतने बड़े आतंकवादी हमले का फैसला आने में इतनी देर शायद नहीं लगनी चाहिए |
                                           इस मामले में हमें अमेरिकी आदालत से सबक लेने चाहिए जो की वर्ल्ड ट्रेंड सेंटर पर हुए हवाई हमले का फैसला साल भर के अंदर सुना दी वह भी तब जब उसके पास किसी के विरुद्ध कोई सुबूत तक नहीं था | लकिन हमारे पास सुबूत नहीं सुबूत का खजाना है |जिन्दा आतंकवादी,हमले की वीडियो फुटेज,हाथ में बन्दुक लिए कसाब की फोटो इत्यादी |इतने सुबूत के बाबजूद हमारी अदालत को फैसला सुनाने में १०-१५ साल लग जाये यह आश्यर्चजनक है|
                                    अत: हमारी अदालत को चाहिए की वह फैसले सुनाने में देर न करे |किसी भी मामले के फैसले को कम से कम समय में दे और यह सब सी. बी. आई. की रिपोर्ट पर भी निर्भर करती है की वह कितनी जल्दी कम करती है | वह तो भ्रष्ट नेताओ के हाथ में है फिर भी अदालत सी. बी.आई. को जल्द से जल्द रिपोर्ट देने के लिए तो कह ही सकती हैं क्योकि की वही तो है जिस पर सबकी आस्था टिकी होती है वो जितनी जल्दी और तेजी से काम करेगी लोगों की आस्था उतनी बढेंगी |
             कहा भी गया है
                            Justice delayed is justice denied   अर्थात
                             न्याय में देरी न्याय नहीं मिलने के बराबर है|
                              ---मिथिलेश कुमार.आस्था नेट.मधेपुरा 

2 comments:

pallavi said...

bilkul sahi kaha aapne, sayad inhi karnon ki wajah se hmara desh aajadi ke itne sal bad v viksit nhi ho paya.......

Suraj Yadav said...

Laws: We know what they are, and what they are worth! They are spider webs for the rich and mighty, steel chains for the poor and weak, fishing nets in the hands of the government.And it can be saidthere is no such thing as justice - in or out of court.

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