क्या यही राजनीति है!!!!!!!!!!!!!!!!!!

आजादी  के   63 साल  बाद  भी  हमारे  देश  भारत   में   वो  सब  नही  हो  पाया  , जो  हमारे  पडोसी  देश  जापान  ने  आजादी  के  कुछ  ही  सालों  बाद  हासिल  कर  लिया . हमारे  देश  ने  अपना  वो  गौरव्  हांसिल  नही  कर  पाया  , जिसके   लिए  वो  जाना  जाता  था . सदियों  पहले  सोने  की  चिड़ियाँ  कहा  जाने  वाला  ये  देश , आज  भ्रस्ताचारियों , घोटालेबाजों  का  देश  बन  गया  है . और  इसके  जिम्मेदार  हैं  हमारे  देश  के  राजनेता  और  उनका  साथ  देने  वाली  जनता| . 
हमारे देश के आजाद होने से अभी तक हमने प्रगति तो बहुत की लेकिन हमारी जो मुलभूत समस्याएँ थी, उसने हमारा पीछा नही छोड़ा | कितनी ही सरकारें बनी,कितने ही राजनेताओं ने दावा किया की भारत विकास  के देहलीज पर खड़ा है, लेकिन किसी ने ये जानने की कोशिश नही की क्या सचमुच हमने और हमारे देश ने उन्नति की है या नही, लोगो की जो समस्याएं हैं, वो खत्म हुई की नही| क्या सही मायने में हमारा देश उन्नति के पथ पर है ये सवाल लाखों लोगों के मन में उठ रहा है, की हमने वो सब हांसिल किया जिसके हम वास्तव में हक़दार थे|
आज हमारे देश में हो रही ये ओछी  राजनीति किसी से भी छुपी नही हैदेश की जनता भी ये देख रही है की हमारे देश को चलने वाले ये राजनेता अपने फायदे के लिए किस हद तक गिर  चुके हैं| आये दिन उन पर घोटालेबाजी,रिश्वतखोरी, ठगी, जैसे कई संगीन आरोप लग रहे हैं| क्या यही पहचान है हमारे देश के राजनीतिज्ञों की , क्या ये हमारे देश को उसका खोया हुआ  गौरव फिर से उसे लौटा पाएंगे???????
मुझे तो नही लगता की हमारा देश फिर से सोने की चिड़ियाँ बनने वाला है..................................|
राजनीतिविज्ञान के जनक प्लेटो के अनुसार "राज्य का सर्वोपरी कर्त्तव्य है,नागरिकों को सच्चरित्र ,सदाचारी बौर ईमानदार बनाना,और यह कार्य किया जाता है राज्य पर शासन करने वाले शासकों के माध्यम से"
           लेकिन क्या आपको लगता है आज तक हमारे देश पर शासन करने वाले शासकों ने हमे सदाचारी बनने की सीख दी हो, और वो देंगे भी कहाँ से कितने प्रतिशत राजनेता हमारे भारत में खुद इमानदार और सच्चरित्र हैं, शायद १०% भी नही.................इसमें कोई दो राय नही है|
हमारे देश के राजनेताओं की पहचान है बेकार की बयानबाजी , बेतुकी बातें, अपने फायदे के लिए किसी भी हद तक गिरना| अपने इन्ही कारणों से उन्होंने ने अपनी नेताजी वाली छवि बनाई है, तो भला वो देश के फायदे के लिए अपनी छवि में सुधर क्यूँ लाये, उन्हें क्या मतलब की देश कहाँ है, और उसकी जनता किस प्रकार की परिस्थितियों का सामना कर रही है, उन्हें तो कुर्सी मिलनी चाहिए बस इसी के लिए तो वे राजनेता बनते हैं,उन्हें  ये मतलब नही होती की जनता कितनी खुशहाल है, उन्हें तो सिर्फ इससे मतलब है, की हम कितनी जल्दी कितनी कमाई कर लें|कितनी जल्दी अपने आप को अमीर बना ले, पता नही अगली बार कुर्सी मिले की नही....??????उन्हें पद पर पहुँचने के साथ ही वो देश  की उन्नति के बदले अपनी उन्नति करने में ज्यादा क्रियाशील हो जाते हैं
                            लेकिन इन्हें कौन समझाए की ये राजनीति नही है,,,,,,,,,,,||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
हमारे देश को अगर फिर से उसका खोया गौरव लौटना है, तो देश के हर नागरिक को एक होना होगा| हर एक जनता को जागरूक होना होगा,ताकि किसी एक की नही बल्कि पुरे देश की उन्नति हो, अमीर गरीब के बीच की खाई को समाप्त किया जा सके, और सबको समानता का अधिकार प्राप्त हो|
                                                                 __पल्लवी राय,मधेपुरा

3 comments:

sandip sandilya said...

उपर लिखी हुई लाइन पढ़ने मे बहुत ही अच्छा लगा........इसके लिए मैं लेखिका का धन्यवाद करता हूँ..... साथ ही साथ उनसे एक क्वेस्चन करता हूँ की उपर की लाइन्स इतने कामन लाइन्स है जिसका चर्चा लोग बिरी चाय के च्यूसीकीयो के साथ गली चोरहे पर करते हुए आराम से नज़र आ जाते है......परंतु क्या समाधान के लिए उन्होने कोई अपने स्तर से कदम उठाया हैं?

Suraj Yadav said...

Politicians are like diapers. They both need changing regularly and for the same reason.

pallavi said...

thanks for comment

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