इन घटिया राजनीति करने वालों से बचाएं देश और समाज को
आखिर क्या बोला जाय इन नेताओं को ?
मुख्यमंत्री केजरीवाल का धरना पर बैठना अराजकता है क्या ?
फिर धोखा:कोशी न्यायिक जाँच आयोग की मियाद ख़त्म, कोई रिपोर्ट नहीं
‘पिछड़ा वर्ग को हमेशा ठगा गया’
झूठ मत बोलो बिहार में जातिवाद अब हुआ है
शरद या नितीश बिना बिजली के 15 मिनट कब गुजारे होंगे ?-मोनी
बैसाखियों के भरोसे न रहें ये ही ले डूबेंगी कभी
धूर्त और मक्कार होते हैं चरणस्पर्श के शौकीन लोग
यों ही कब तक पड़े रहोगे नए साल के नाम पर तो कुछ करो
यों ही कब तक पड़े रहोगे नए साल के नाम पर तो कुछ करो
कबूतरिया गृह-मोह त्यागें जमाने को देखने बाहर निकलें
बडे़ कामों का लें संकल्प बड़ा दिन देता यही संदेश
कमीनों से दूरी बनाए रखें, इनका न साथ दें, न साथ रहें
बार-बार न दोहराएँ एक ही बात को
औरत तेरी यही कहानी (कहीं मुर्दों से, कहीं जिंदों से, फर्क क्या?)-रंजन कुमार
दोहरी नीति वाले थे बाल ठाकरे-रंजन कुमार
बिहार में कदाचार के लिए शिक्षा व्यवस्था दोषी?
बिहार की शिक्षा व्यवस्था है सोचनीय-श्वेता सुमन सिंह
बिहार का असली विकास मीडिया के द्वारा देख ले-रंजन कुमार
हिन्दू विवाह में सात फेरे क्यूं?-साक्षी
कोसी को मिले विशेष क्षेत्र का दर्जा-देव नारायण साहा
आज़ादी की खीर-स्वप्नल सोनल
भारत और भ्रष्टाचार-मिथिलेश, मधेपुरा
क्या विवाह वाकई एक पवित्र बंधन है???-पल्लवी
हमारी नपुंसक सरकार-मिथिलेश,मधेपुरा
क्या यही राजनीति है!!!!!!-पल्लवी राय,मधेपुरा
शिक्षा और शिक्षा मंत्री जी:मिथिलेश
अंधविश्वास की अंधी दौर: पल्लवी राय

हमारे माननीय भ्रष्टाचारी जी- मिथिलेश,मधेपुरा
औरत:खुद की सबसे बड़ी दुश्मन-प्रीति,मधेपुरा
हमारी उंघती न्यायपालिका -मिथिलेश,मधेपुरा

 

18 comments:

webmaster said...

nice blog
thanks
Gunjan Kumar

http://bihar.infozones.in

Suraj Yadav said...

Congratulations, Madhepura Times has stepped into popularity b'coz 'some' people have started hating it! I remember Marilyn Monroe's statement, "Love me or hate me, but do not ignore me."
‎Therefore just as the elephant stays on course, moving toward its goal, regardless of all the barking of dogs and noise that swirls around him, so should the Madhepura Times keep it up & move forward.

S.H.S. Madhepura said...

work is overloaded but salary is so poor why?

S.H.S. Madhepura said...

क्‍या कान्‍ट्रेक्‍ट की नौकरी ही मिलेगी इस सरकार में और वेतन भी नियत इसमे क्‍या होगा गरीब लोग जी सकेंगेा

S.H.S. Madhepura said...

क्‍या नियत वेतन में गरीबों का इस महंगाई के दौर में जीवन यापन हो सकेगा इस बारे में सरकार क्‍या सोच रही हैा

SANDEEP RAJ BELOKALA. said...

"THAND BAHUT HAI,AISE MEIN NOTON KI GADDION SE THODA SA AARAM MILEGA"...!!!!!PRAYAS ACHHA HAI GHUSKHORI MITANE KA.

santoshgangele said...

VERY GOOD NEWS NET CHENAL MT..

सुनील कुमार said...

कार्यपालक सहायक के मानदेय अभी 7000 है और महंगाई आसमान पर क्‍या इसमें कार्यपालक सहायक अपने बाल बच्‍चे के साथ रहकर बच्‍चे को अच्‍छी शिक्षा दे सकेंगे क्‍यों नहीं सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए

Unknown said...

ye kaisi khamosi hai ,
jo badhti hi ja rhi hai,
bhrastchar ke khilaf ,
koi awaz kyu nahi aa rhi hai ,
sansad mai baithe choro ko amir ,
aam admi ko khaye ja rhi hai,

desh ke logon ko huwa kya hai,
jane kon si dwa di jaye
bhrastachar ka zahar hai fizaao mai
koi bataye kahan jake saans li jaye...

sab kuch dekhte hain sab
kyu kisi ka koon nhi kholta
maa ko dekh ke choro ke haath mai
kyu uska baccha kuch nhi bolta

mere dosto ithas palat ker dekho jara
sur veero se taluqat rekhte hai ham
hame charag samaj ke koi bujha sakta nahi
apne dilo jane kitne aftab kekhte hai ham

Unknown said...

जिया हो बिहार के लाला ..

बात कुछ महीने पहले की है जब हमारे एक मित्र बैंगलोर के एक सिनेमा हॉल से ये फिल्म देख के बहार निकल रहे थे। उन्होंने हमें बताया की, "भाई, माँ कसम, छाती तान के निकले थे बाहर। सब लोग जान गया होगा की बिहार क्या चीज है।"

अब बिहार को कौन नही जानता? फर्क तो सिर्फ इस बात से पड़ता है कि लोग बिहार को कितने अच्छे से जानते हैं। कुछ बिहारियों को शरीफ समझते हैं, तो कुछ बिहारियों से बच के चलते हैं। अब लोग जैसे भी हों, बिहार तो बिहार ही है। आजकल हमारे यहाँ एक नए प्रजाति के लोग मिलते हैं जो "hey dude!", "yo man!" और "wassup?" जैसे शब्दों को अक्सर प्रयोग में लाते हैं। और इन मॉडर्न जंतुओं को हमारी बिहारी शैली के भाषा प्रयोग से काफी तकलीफ़ है। अब लोगों को "मैं" की जगह "हम" बोलने शर्म आती है तो इसमें हम क्या कर सकते हैं? वैसे बता देते हैं की "हम" दरअसल संस्कृत के "अहम्" से परिचलन में आया है, जिसका मतलब "मैं" ही होता है। अब हाय, हेल्लो तो सभी करते हैं, लेकिन आदमी को "yo man!" कह देने से कुछ ज्यादा फायदा नही है।
...

जहाँ हमारा रुझान पाश्चात्य संस्कृति की तरफ बढ़ता ही जा रहा है, उसी तरफ पश्चिम में रहने वाले लोग हमारी संस्कृति अपना रहे हैं। अब बताइए एक दिन ऐसा आयेगा जब सारे अँगरेज़ खिचड़ी खा रहे होंगे और हम अत्यधिक "कूल" लोग बर्गर। भाई, जो मज़ा घर के खाने में आता है वो और कहाँ? फिर भी सब दौड़े जा रहा हैं दिन प्रतिदिन और "कूल" बनने के चक्कर में। और इतना ही नहीं, हमें तो उन जंतुओं से खासी शिकायत है जो अंग्रेजी की सरेआम हत्या करते हैं।

My = Mah
You = yewh / eww

अब ऐसी भाषा के प्रयोग पर सरकार ने तो कोई रोक नहीं लगाई, लेकिन हमारी "कूल" जनता आधी बेवक़ूफ़ हो चुकी है। राजनीति से ज्यादा लोग Roadies के बारे में जानते हैं और देशव्यापी समस्याओं के लिए हफ्ते में एक दिन निकाल के फेसबुक में स्टेटस अपडेट मार देते हैं।

क्या हो गया है हमारे लोगों को? दिखावे की इस ज़िन्दगी में खुद को एक पोस्टर बना के रख दिया है। रोज़ हजारों लोग तो ऐसे ही मर जाते हैं और किसी को कुछ पता भी नही चलता। हमारे बिहार में कई गांव ऐसे भी हैं जहाँ लोग भुखमरी से मरते हैं। तीन कड़ोड़ से भी ज्यादा लोग तो सिर्फ हमारे बिहार में ही हैं जिन्हें पढ़ना-लिखना नही आता। ऐसी परिस्थिति में आप ये जानिये के आपकी तरक्की और आपकी कही जाने वाली हर एक बात का असर सीधा इन लोगों पर होता है। अगर हर कोई एक ही आवाज़ में एक तरफ चीखे तो हर सुनने वाला भी साथ में चीखता है, और वो हमारा आक्रोश है वो हमारे देश की जनता की आवाज़ है। किसी को नौकरी नहीं मिल रही, किसी की आर्थिक स्तिथि ख़राब है, कोई बीमार है तो कोई लाचार है। गुस्सा हर किसी में होता है, और और अपने इसी गुस्से तो दबाये हुए न जाने कितने लोग रोज़ चुप हो जाते हैं। फैसला तो उस दिन होगा जब सड़कों पे नारे लग रहे होंगे, और जब लोगों का गुस्सा दबाये नही दबेगा।

लेकिन, उसमे अभी देरी लगेगी। तब तक एक बार फिर से उन तमाम सुपर कूल लोगों को मेरे तरफ से yo!

हमारे साथ बने रहिये, धन्यवाद।

Unknown said...

ye kaisi khamosi hai ,
jo badhti hi ja rhi hai,
bhrastchar ke khilaf ,
koi awaz kyu nahi aa rhi hai ,
sansad mai baithe choro ko amir ,
aam admi ko khaye ja rhi hai,

desh ke logon ko huwa kya hai,
jane kon si dwa di jaye
bhrastachar ka zahar hai fizaao mai
koi bataye kahan jake saans li jaye...

sab kuch dekhte hain sab
kyu kisi ka koon nhi kholta
maa ko dekh ke choro ke haath mai
kyu uska baccha kuch nhi bolta

mere dosto ithas palat ker dekho jara
sur veero se taluqat rekhte hai ham
hame charag samaj ke koi bujha sakta nahi
apne dilo jane kitne aftab kekhte hai ham

Unknown said...

जिया हो बिहार के लाला ..

बात कुछ महीने पहले की है जब हमारे एक मित्र बैंगलोर के एक सिनेमा हॉल से ये फिल्म देख के बहार निकल रहे थे। उन्होंने हमें बताया की, "भाई, माँ कसम, छाती तान के निकले थे बाहर। सब लोग जान गया होगा की बिहार क्या चीज है।"

अब बिहार को कौन नही जानता? फर्क तो सिर्फ इस बात से पड़ता है कि लोग बिहार को कितने अच्छे से जानते हैं। कुछ बिहारियों को शरीफ समझते हैं, तो कुछ बिहारियों से बच के चलते हैं। अब लोग जैसे भी हों, बिहार तो बिहार ही है। आजकल हमारे यहाँ एक नए प्रजाति के लोग मिलते हैं जो "hey dude!", "yo man!" और "wassup?" जैसे शब्दों को अक्सर प्रयोग में लाते हैं। और इन मॉडर्न जंतुओं को हमारी बिहारी शैली के भाषा प्रयोग से काफी तकलीफ़ है। अब लोगों को "मैं" की जगह "हम" बोलने शर्म आती है तो इसमें हम क्या कर सकते हैं? वैसे बता देते हैं की "हम" दरअसल संस्कृत के "अहम्" से परिचलन में आया है, जिसका मतलब "मैं" ही होता है। अब हाय, हेल्लो तो सभी करते हैं, लेकिन आदमी को "yo man!" कह देने से कुछ ज्यादा फायदा नही है।
...

जहाँ हमारा रुझान पाश्चात्य संस्कृति की तरफ बढ़ता ही जा रहा है, उसी तरफ पश्चिम में रहने वाले लोग हमारी संस्कृति अपना रहे हैं। अब बताइए एक दिन ऐसा आयेगा जब सारे अँगरेज़ खिचड़ी खा रहे होंगे और हम अत्यधिक "कूल" लोग बर्गर। भाई, जो मज़ा घर के खाने में आता है वो और कहाँ? फिर भी सब दौड़े जा रहा हैं दिन प्रतिदिन और "कूल" बनने के चक्कर में। और इतना ही नहीं, हमें तो उन जंतुओं से खासी शिकायत है जो अंग्रेजी की सरेआम हत्या करते हैं।

My = Mah
You = yewh / eww

अब ऐसी भाषा के प्रयोग पर सरकार ने तो कोई रोक नहीं लगाई, लेकिन हमारी "कूल" जनता आधी बेवक़ूफ़ हो चुकी है। राजनीति से ज्यादा लोग Roadies के बारे में जानते हैं और देशव्यापी समस्याओं के लिए हफ्ते में एक दिन निकाल के फेसबुक में स्टेटस अपडेट मार देते हैं।

क्या हो गया है हमारे लोगों को? दिखावे की इस ज़िन्दगी में खुद को एक पोस्टर बना के रख दिया है। रोज़ हजारों लोग तो ऐसे ही मर जाते हैं और किसी को कुछ पता भी नही चलता। हमारे बिहार में कई गांव ऐसे भी हैं जहाँ लोग भुखमरी से मरते हैं। तीन कड़ोड़ से भी ज्यादा लोग तो सिर्फ हमारे बिहार में ही हैं जिन्हें पढ़ना-लिखना नही आता। ऐसी परिस्थिति में आप ये जानिये के आपकी तरक्की और आपकी कही जाने वाली हर एक बात का असर सीधा इन लोगों पर होता है। अगर हर कोई एक ही आवाज़ में एक तरफ चीखे तो हर सुनने वाला भी साथ में चीखता है, और वो हमारा आक्रोश है वो हमारे देश की जनता की आवाज़ है। किसी को नौकरी नहीं मिल रही, किसी की आर्थिक स्तिथि ख़राब है, कोई बीमार है तो कोई लाचार है। गुस्सा हर किसी में होता है, और और अपने इसी गुस्से तो दबाये हुए न जाने कितने लोग रोज़ चुप हो जाते हैं। फैसला तो उस दिन होगा जब सड़कों पे नारे लग रहे होंगे, और जब लोगों का गुस्सा दबाये नही दबेगा।

लेकिन, उसमे अभी देरी लगेगी। तब तक एक बार फिर से उन तमाम सुपर कूल लोगों को मेरे तरफ से yo!

हमारे साथ बने रहिये, धन्यवाद।

ABHIMANYU YADAV said...

thanx madhepura time now we know about madhepura in delhi.,,,.

Unknown said...

thank you to madhepura times

Unknown said...

thank you to madhepura times

Unknown said...

Bihar State, Data Entry/computer operator sangh contract no. 9304359393

Anonymous said...

I AM DHIRAJ KUMAR FROM ANDHRA PRADESH AT ADTYA ENGINEERING COLLEGE BUT MY HOME TOWN IN BIHAR BAGHIPUR MADHEPURA DISTRICT AND I WANT TO SAY THAT FROM MADHEPURA TIMES PAGE I CAN GET ALL INFORMATION ABOUT MY DISTRICT SO I LIKE THIS PAGE AND I LOVE OUR DISTRICT I HAVE PROUD ON MY DISTRICT BECAUSE I AM HEAR AND BEY THE WEY YOU ENTIRE PEOPLE SEEN SO THANK YOU

Anonymous said...

THIS IS THE BEST

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