दर्द जब हद से गुजर जाता है

रिंकू  सिंह/२८ मई २०१० 
ये तस्वीर है शुभाशीष गांगुली की जो मधेपुरा सिविल कोर्ट में स्टेनोग्राफर के पद पर कार्यरत हैं.मधेपुरा में एक मेधावी छात्र के रूप में इनकी गिनती होती थी.सिविल कोर्ट में स्टेनोग्राफर के रूप में आज से करीब पांच साल जब इन्होने अपनी नौकरी शुरू की तो परिवार, समाज और विभाग को इनसे खासी उम्मीद बंधी थी.सब कुछ सामान्य चल रहा था पर अचानक इनके सारे सपने बिखरते नजर आये.किस्मत ने इन्हें दगा दे दी.अचानक तीन-तीन ऐसी  बीमारियों  ने इन्हें धर  दबोचा कि......ना जी रहे हैं और ना मर रहे है.एक स्टेनोग्राफर के लिए सबसे महत्वपूर्ण अंग उसका हाथ होता है और जब हाथ ही साथ छोड़ दे तो क्या करें,क्या नहीं? इनकी जिंदगी बोझ सी बन गयी कर रह गयी.
    जी हाँ ! शुभाशीष को जिन तीन बीमारियों ने अपना शिकार बनाया है उन बीमारियों के नाम हैं:
१. Haemophilia - A ( Factor VIII ) <२%>
२. Pigmented Villonodular Synovitis (PVNS)-Right Elbow
३.Intra Articular Haemmorrhage (Right Elbow)
   इस बीमारी में उन्हें दाहिने केहुनी और इसके आसपास दर्द व सूजन रहता है.दर्द इतना कि केहुनी लॉक हो जाता है.जोड़ तथा मसल्स में आंतरिक रक्तस्राव होता है.अगर मरीज के शरीर में कहीं भी कोई घाव होता है या कट जाता है तो अनियंत्रित होकर खून बहने लगता है.यह आंतरिक ब्लीडिंग प्लेटलेट्स की कमी से होता है तथा मरीज कमजोर हो जाता है.प्रभावित अंग कमजोर हो जाने के कारण उस अंग से काम करना काफी कष्टकर होता है.
    श्री गांगुली को पहली बार इस बीमारी का अनुभव तब हुआ जब न्यायालय में लगातार टाइप करते समय दाहिने हाथ के केहुनी में उन्हें सूजन एवं दर्द शुरू हुआ तथा उनके केहुनी का  जोड़ लॉक हो गया.उस समय उन्हें ये लगा कि शायद लगातार काम करते रहने की वजह से ये समस्या तात्कालिक रूप से उत्पन्न हुई है.परन्तु तब से जब ये समस्या बार-बार आने लगी तो तो श्री गांगुली ने मधेपुरा के हड्डी एवं नस रोग विशेषग्य डा० उजित राजा से संपर्क किया.डा० राजा ने तीन महीने तक दवा व इंजेक्शन से श्री गांगुली का इलाज किया पर कोई फायदा नहीं हुआ.तत्पश्चात बिहार के प्रख्यात चिकित्सक डा० आर० एन० सिंह तथा डा० जॉन मुखोपाध्याय से भी इन्होने इलाज कराया पर नतीजा यहाँ भी शून्य ही निकला.
  लगातार दर्द व सूजन से परेशान श्री गांगुली ने तब भारत के बहुप्रतिष्ठित अपोलो  हॉस्पिटल दिल्ली का रूख किया.यहीं उन्हें पहली बार पता  चला कि उन्हें जो बीमारी है उसका नाम PVNS (Pigmented Villonodular Synoviti )है तथा इसका एकमात्र इलाज ऑपरेशन है.अपोलो हॉस्पीटल में पड़ने वाले अत्यधिक खर्च की वजह से श्री गांगुली नई दिल्ली के ही दूसरे प्रतिष्ठित संस्थान राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ऑपरेशन के लिए भर्ती हुए.पर बदकिस्मती ने यहाँ भी पीछा नहीं छोड़ा.डॉक्टरों की टीम ने घोषित किया कि उन्हें एक अन्य बीमारी खून में प्लेटलेट्स की कमी होना भी है और इस वजह से तत्काल उनका ऑपरेशन नहीं हो सकता.खून में प्लेटलेट्स की कमी का निश्चित कारण भी चिकित्सकों की टीम ने नहीं बताया.लोहिया अस्पताल के ही रक्त विशेषज्ञों ने प्लेटलेट्स की कमी की  वजह सर्दी,जुकाम,बुखार आदि बताया तथा उन्हें आराम व पौष्टिक खानपान की सलाह दी.तीन महीने के बाद जब श्री गांगुली के रक्त में प्लेटलेट्स बढ़ गया तो वे ऑपरेशन कराने पुन: दिल्ली गए.परन्तु लोहिया अस्पताल में ऑपरेशन की तिथी नहीं मिलने के कारण वे दिल्ली के पास स्थित वैशाली में पुष्पांजली क्रौसले हॉस्पीटल में भर्ती हुए.परन्तु यहाँ जांचोपरांत रक्त में APTT बढ़ जाने के कारण डा० आशीष साव ने ऑपरेशन से इनकार कर दिया तथा किसी अच्छे रक्त विशेषग्य से मिलने की सलाह दी.तत्पश्चात विभिन्न विशेषज्ञों से लगातार रक्त जांच करवाने के उपरान्त उन्हें जनवरी २००९ में रक्त संबंधी एक नई बीमारी 'हिमोफिलीया' का पता चला.तब जाकर श्री गांगुली 'हिमोफिलीया सोसायटी' नई दिल्ली में डा० टी० के० बसु एवं डा० वी० के० गर्ग के पास इलाज हेतु पहुंचे जहाँ उन्हें रक्त में 'फैक्टर VIII ' की कमी के कारण ऑपरेशन के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया तथा 'एंटी हिमोफिलीक फैक्टर'(AHF) चढाने की सलाह दी गयी.
     तब से लेकर लगातार श्री गांगुली समय-समय पर  'एंटी हिमोफिलीक फैक्टर' चढ़वाते रहे हैं.पटना के प्रतिष्ठित पी० एम० सी० एच० में नवम्बर २००९ से AHF उपलब्ध नहीं होने के कारण वे इससे भी वंचित हैं और उनकी समास्या बढ़ती ही जा रही है.चूंकि श्री गांगुली के केहुनी का ऑपरेशन डाक्टरों के मुताबिक़ काफी मुश्किल है और ये कहना भी निश्चित नहीं है कि यदि किसी तरह ऑपरेशन हो भी गया तो सफलता मिलेगी या नहीं.ऐसी परिस्थिति में श्री गांगुली के पास दर्द को साथ लेकर जीने के अलावा कोई रास्ता नजर नहीं आता है.
 श्री गांगुली ने सदर अस्पताल मधेपुरा में इस सम्बन्ध में मेडिकल बोर्ड के गठन हेतु भी एक आवेदन सिविल सर्जन मधेपुरा के कार्यालय में दिसंबर २००९ में ही दाखिल किया है पर विभाग के कानों पर अब तक जूं नहीं रेंगी है.
  मधेपुरा टाइम्स अपने जागरूक पाठकों से नम्र निवेदन करती है कि यदि इस समस्या से सम्बंधित कोई ऐसी जानकारी किन्ही को मिले जिससे श्री शुभाशीष गांगुली को इस कष्टदायक बीमारी से रहत मिल सके,तो कृपया इसकी सूचना हमें ई-मेल से madhepuratimes @gmail .com पर या श्री गांगुली के ई-मेल sganguly75 @gmail .com पर दें.
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